ऐसी बंशी बजाई श्याम ने मेरी सुध बिसराई श्याम ने
नि मैं हुई दीवानी नि मैं हुई मस्तानी ऐसी तान सुनाई श्याम ने मेरी सुध बिसराई श्याम ने
मुरली की धुन जब पड़ी कानन में, नींद न आये सखी मेरे नैनन में, ऐसी निंदिया उड़ाई श्याम ने मेरी सुध बिसराई श्याम ने
जमुना किनारे श्याम बंशी बजावें, हर एक सखी को नाच नचावें, ऐसी रास रचाई श्याम ने मेरी सुध बिसराई श्याम ने
नि मैं हुई दीवानी नि मैं हुई मस्तानी ऐसी तान सुनाई श्याम ने मेरी सुध बिसराई श्याम ने
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