खुल गये सारे ताले ओ क्या बात हो गई जब थे जन्मे कन्हैया करामात हो गई , था घनघोर अंधेरा कैसी रात हो गई जब थे जन्मे कन्हैया करामात हो गई
थी बंधी खाना जन्म लियो कान्हा, वो तब का ज़माना पुराना,ताले लगाना ये पहरे बैठाना, था कंस का जुल्म उठाना ,उस रात का दृश्य भयंकर था, उस कंस को मारने का डर था ,बादल छाए मड़राये बरसात है गई जब थे जन्मे कन्हैया करामात हो गई
खुल गये ताले सोये रखवाले , लिए हाथों में बरछियां भाले
वो दिल के काले पड़े थे पाले,काल के हवाले होने वाले
बासुदेव ने श्याम को उठाया था, टोकरी मे श्याम को लिटाया था , गोकुल धाये हरषाये कैसी बात हो गई जब थे जन्मे कन्हैया करामात हो गई
घटायें थी काली अजब मतवाली, डलिया में कृष्ण मुरारी, सहसफन धारी करे रखवाली यमुना ने बात बिचारी श्री श्याम आये हैं भक्तों के हितकारी चरण छूलूं इनके मै जाऊं बलिहारी चरण छुए यमुना ने ओय क्या बात हो गई जब थे जन्मे कन्हैया करामात हो गई
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