गौरा मैया से बोले त्रिपुरारी एक दिन मैं भी जनानी बनूंगा
मैं भी पहनूंगा माथे पे टीका मैं भी पहनूंगा माथे पे बिंदिया
सज धज के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा कानो में कुंडल मैं भी पहनूंगा कानो में झुमका ,बन ठन के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा गले में हरवा मैं भी पहनूंगा गले में माला
सज धज के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा हाथों में कंगना मैं लगाऊंगा हाथों में मेहंदी
बन ठन के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा अंगो में साड़ी मैं भी ओढ़ूंगा सिर पे चुनरिया
सज धज के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा पैरों में पायल मैं भी पहनूंगा पैरों में बिछूआ
बन ठन के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा माथे पे टीका मैं भी पहनूंगा माथे पे बिंदिया
सज धज के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा कानो में कुंडल मैं भी पहनूंगा कानो में झुमका ,बन ठन के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा गले में हरवा मैं भी पहनूंगा गले में माला
सज धज के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा हाथों में कंगना मैं लगाऊंगा हाथों में मेहंदी
बन ठन के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा अंगो में साड़ी मैं भी ओढ़ूंगा सिर पे चुनरिया
सज धज के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
मैं भी पहनूंगा पैरों में पायल मैं भी पहनूंगा पैरों में बिछूआ
बन ठन के चले त्रिपुरारी बृंदावन की सुहानी गलिन में
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